तेज बरसात से गिरा ऐतिहासिक चक्की का पाट और किले की दीवार : संभल

 

Chakki ka paat sambhal
चक्की का पाट संभल

पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में आल्हा ऊदल ने अपनी वीरता का परिचय देने के लिए किले की ऊंची दीवार पर एक छलांग में चक्की का पाट टांग दिया था

तेज बरसात से संभल के गौरव में इतिहास की एक निशानी जमीदोज हो गई। लगातार बरसात के बाद प्राचीन किले की दीवार व उस पर टंगा चक्की का पाट गिर गया। ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में आल्हा ऊदल ने अपनी वीरता का परिचय देने के लिए किले की ऊंची दीवार पर एक छलांग में चक्की का पाट टांग दिया था।

यह भी कहा था कि संभल में तब तक कोई नट अपनी कला का प्रदर्शन न करे जब तक उनके इस साहसिक कार्य से बड़ी कोई कला न दिखा पाए। पिछले काफी समय से ऐतिहासिक चक्की के पाट और किले की दीवार का वजूद खतरे में था। किले की दीवार की जर्जर हालत देखकर जिला प्रशासन ने पुरातत्व विभाग से इसे संरक्षित करने के लिए सहयोग मांगा था।




महीना भर पहले पुरातत्व विभाग की टीम ने प्राचीन चक्की के पाट का निरीक्षण कर देखा था कि इसे कैसे संरक्षित किया जा सकता है। पुरातत्व विभाग या जिला प्रशासन कोई प्रयास कर पाता इससे पहले ही बुधवार देर रात को किले की वह प्राचीन दीवार भरभरा कर गिर गई जिस पर चक्की का पाट टंगा था।

चक्की का पाट व किले की दीवार गिरने की जानकारी मिलने पर यूपी जिला अधिकारी विनय कुमार मिश्रा मौके पर पहुंचे। दीवार से गिरने के बाद भी चक्की का पाट टूटा नहीं है। उप जिलाधिकारी ने बताया कि अधिकारियों को घटना से अवगत करा दिया गया है साथ ही यह देखा जा रहा है कि कैसे चक्की के पाट को उसकी जगह पर स्थापित कराया जा सकता है।

(Source AmritVichardotcom)

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