Sambhal Jama Masjid History : संभल एक इतिहास

पृथ्वी राज चौहान के जमाने में यह नगर पहले उनकी राजधानी था बाद में उनके राजधानी दिल्ली ले जाने के बाद यह उनके राज्य का आउट- पोस्ट बन गया . उस ज़माने में आल्हा उदल यहाँ के प्रमुख रक्षक थे, कहते हैं कि उदल ने एक ही छलांग में एक दीवार पर चक्की का एक पाट टांग दिया था. आल्हा और उदल के बारे में आज की पीढ़ी भले ही परिचित न हो लेकिन इनके शौर्य की गाथा आज भी हिंदी भाषी इलाकों के ग्रामीण क्षेत्रों में गाई जाती हैं।

मध्यकाल में सम्भल का सामरिक महत्त्व बढ़ गया, क्योंकि यह आगरा व दिल्ली के निकट है। सम्भल की जागीर बाबर के आक्रमण के समय अफ़गान सरदारों के हाथ में थी। बाबर ने हुमायूँ को संभल की जागीर दी लेकिन वहाँ वह बीमार हो गया, अतः आगरा लाया गया। इस प्रकार बाबर के बाद हुमायूँ ने साम्राज्य को भाइयों में बाँट दिया और सम्भल अस्करी को मिला। शेरशाह सूरी ने हुमायूँ सूरी को खदेड़ दिया और अपने दामाद मुबारिज़ ख़ाँ को सम्भल की जागीर दी।

जामा मस्जिद, जिसे बाबरी मस्जिद भी कहा जाता है, संभल के सबसे पुराने स्मारकों में से एक है। यह संभल का एक विरासत स्थल, यह मस्जिद 1528 में सम्राट बाबर के आदेश के तहत मीर बेग द्वारा बनाई गई थी। जो बात इसे और भी ऐतिहासिक बनाती है, वह यह है कि बाबर ने स्वयं इस मस्जिद का पहला पत्थर बनवाया था, इस प्रकार, यह एक ऐसा स्थान बन गया, जो इतिहास में समा गया है। यह मस्जिद शांति की भावना का अनुभव करती है और वास्तुकला की विशिष्ट मुगल शैली व इतिहास की याद दिलाती है। मस्जिद अच्छी तरह से बनाए रखी गई है और संभल में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।



 यहाँ के उद्यमी लोग मेंथा के व्यवसाय को जरूर उस ऊंचाई तक ले कर गए हैं कि देश भर का मेंथा रेट यहीं से निकलता है पर इस के लिए न तो प्रशासन ने कुछ सहयोग दिया है न ही कोई इसे आगे बढ़ने की कोई योजना उसके दिमाग में है , नहीं तो अब तक एक केमिकल टेक्नोलॉजी का एक बड़ा संस्थान यहाँ अब तक खुल चूका होता ताकि नगर के उद्द्मियों के प्रयासों में कुछ और प्रोफेशनल टच आ जाता साथ ही बाहर की उन्नत तकनीक का लाभ भी इस उद्द्योग को मिलता .

संभल को अंग्रेजों ने अबसे १५० वर्ष पहले ट्रेन से मुरादाबाद से जोड़ा था , इस में कोई बदलाव नहीं आया है, यदि इसे गजरौला से जोड़ा जाय तो दिल्ली तक की दूरी महज सिमट कर १२० किमी हो सकती है और विकास की गति तेज हो सकती है. सड़क से चंदौसी की दूरी केवल २२ किमी है , यदि उसे भी ट्रेन के जरिय जोड़ा जाय तो आगरा और बरेली तक पहुंचना सुगम हो सकता है पर राजनीतिज्ञों के व्यक्तिगत संपदा दोहन के दौर में इस उपेक्षित क्षेत्र की किसे पडी है.

संभल के कबाब Sambhal Famous Places
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